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Channel: नानक जयंती
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नानक ने समझाया 'नाम' का प्रभाव

गुरु नानक अपने एक प्रिय शिष्य के साथ घूमते हुए असम पहुंचे। एक स्थान पर आग की लपटें देख शिष्य ने नानक देव से पूछा, यह अकस्मात आग कैसे लगी है? इसके पूर्व कि नानक देव उत्तर देते, वह बुझ गई।

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गुरु नानक देव की जयंती

गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व : तोहिद की यह आवाज बुलंद करके वर्ण, वर्ग, पाखंड, आडंबर, ऊंच-नीच और कर्मकांड में जकडे़ इंसानों को झंझोड़कर उठाने वाले निरंकारी गुरु नानक थे। जिनका जन्म सन्‌ 1469 की कार्तिक...

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गुरु नानक देव की वाणी - जिंदगी झूठ, मौत सच!

एक बार गुरुनानक सिलायकोट पधारे। लोगों से उन्हें पता चला कि हमजागौस नामक एक मुसलमान पीर लोगों को तंग करता है। नानकदेव ने हमजागौस को बुलाकर लोगों को तंग करने का कारण पूछा।

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गुरु नानक : सत्य सबसे ऊपर...

गुरु नानक ने इस बात को बहुत अधिक गहराई से अनुभव किया था। उन्होंने अनुभव किया था कि करनी के विषय में कहा तो जाता है परंतु इसे सत्य की प्राप्ति का एक साधन मात्र ही माना जाता है इसलिए अधिक आग्रह सत्य की...

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गुरु ग्रंथ साहिब की महत्ता

श्री गुरुनानक देव जी से लेकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक गुरुगद्दी शारीरिक रूप में रही क्योंकि इन सभी गुरु जी ने पाँच भौतिक शरीर को धारण करके मानवता का कल्याण किया। पर 10वें गुरु जी ने शरीर का त्याग...

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...जब नानक ने दिया विचित्र आशीर्वाद

गुरु नानक एक बार एक गांव में गए। उस गांव के लोग नास्तिक विचारधारा के थे। वे भगवान, उपदेश और पूजा-पाठ में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखते थे। वे साधुओं को ढोंगी की संज्ञा देते।

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नीति कथा - खुदा का घर

गुरु नानक तीर्थाटन करते हुए मक्काशरीफ पधारे। रात हो गई थी, अतः वे समीप ही एक वृक्ष के नीचे सो गए। सबेरे उठे तो उन्होंने अपने चारों ओर बहुत सारे मुल्लाओं को खड़ा पाया।

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गुरु नानक का दर्शन

गुरुनानक अपने एक प्रिय शिष्य के साथ घूमते हुए असम पहुंचे। एक स्थान पर आग की लपटें देख शिष्य ने नानकदेव से पूछा, यह अकस्मात आग कैसे लगी है?

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नानक देव : सिख धर्म के प्रथम गुरु

गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु थे, पढ़ें गुरु नानक जयंती और गुरुनानक जी के बारे में विशेष जानकारी! सिख धर्म के दस गुरुओं की...

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नानक देव के मूल मंत्र

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी का आरंभ मूल मंत्र से होता है। ये मूल मंत्र हमें उस परमात्मा की परिभाषा बताता है जिसकी सब अलग-अलग रूप में पूजा करते हैं।

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गुरु नानक देव की 3 मुख्य बातें

गुरु नानक ने सच्चे सिख के लिए यानी अपने शिष्यों से तीन मुख्य बातों का पालन करने के लिए कहा है।

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सिख पंथ के 10 स्मरणीय पावन नाम

सिख धर्म दुनिया का सबसे उच्चतम धर्म है जिसने मानव मात्र की भलाई के लिए हमें एक नया जीवन प्रकाश प्रदान किया है। जहां इसमें प्राचीन धर्मों की विशेषताएं ग्रहण कर ली गई हैं, वहीं यह भी प्रयत्न किया गया है...

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सिख पंथ के दस गुरु साहिबान

गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु थे, पढ़ें गुरु नानकदेवजी की शिक्षा में निम्न चार बातें -

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गुरु नानकजी का प्रकाश पर्व

गुरुनानक देवजी सिख धर्म के संस्थापक ही नहीं, अपितु मानव धर्म के उत्थापक थे। वे केवल किसी धर्म विशेष के गुरु नहीं अपितु संपूर्ण सृष्टि के जगद्गुरु थे।

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नानक देव की सीख : गिरवी के पत्थर

एक बार गुरु नानक बगदाद गए हुए थे। वहां का शासक बड़ा ही अत्याचारी था। वह जनता को कष्ट तो देता ही था, उनकी संपत्ति लूटकर अपने खजाने में जमा भी कर लिया करता था। उसे जब मालूम हुआ कि हिंदुस्तान से कोई साधु...

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सदैव याद रखें जीवन के 3 मूल सिद्धांत -गुरुनानक

गुरु जी के अनुसार जो नाम का जाप नहीं करते उनका जन्म व्यर्थ चला जाता है। जिस प्रभु की हम रचना है उसे सदा याद रखना हमारा फर्ज है। गुरु जी के अनुसार प्रभु के नाम का जाप करना उतना ही जरुरी है जितना जीवित...

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गुरुनानक का जीवन दर्शन

नानकदेव क्या थे और नानक का दर्शन क्या था? ये सब निरर्थक बातें हैं। नानक के व्यक्तित्व में सभी गुण थे। नानकदेवजी ने रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में सदैव अपनी आवाज बुलंद की। संत साहित्य में नानक...

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सिख पंथ के दस गुरु साहिबान

सिख धर्म दुनिया का सबसे उच्चतम धर्म है जिसने मानव मात्र की भलाई के लिए हमें एक नया जीवन प्रकाश प्रदान किया है। जहाँ इसमें प्राचीन धर्मों की विशेषताएँ ग्रहण कर ली गई हैं, वहीं यह भी प्रयत्न किया गया है...

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नानक उत्तम-नीच न कोई

श्री गुरुनानकदेवजी का आगमन ऐसे युग में हुआ जो इस देश के इतिहास के सबसे अँधेरे युगों में था। उनका जन्म 1469 में लाहौर से 30 मील दूर दक्षिण-पश्चिम में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ जो अब पाकिस्तान में है।

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नानकजी की कथनी-करनी में अंतर नहीं था

गुरु नानकदेवजी का बहुमुखी प्रतिभावान जीवन दर्शन मानवतावादी दर्शन था। वे मानवीय समता, समानता, समरसता, सौहार्दता, विश्व बंधुत्व के प्रबल पैरोकार थे। जपुजी साहब के चौदहवें पद में वे स्पष्ट शब्दों में...

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